हम लाइफ सेविंग ऑर्गनाइजेशन हैं। लाइफ सेविंग ऑर्गनाइजेशन पूरे भारत में कानूनी सेवाओं के क्षेत्र में काम कर रही है, और वैश्विक स्तर पर कार्यान्वयन के लिए प्रयास कर रही है।आप भलीभांति जानते होंगे कि नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (एनजेएडी) के मुताबिक देशभर की अदालतों में पांच करोड़ से ज्यादा मामले लंबित हैं।जबकि भारत में पांच लाख पचास हजार से ज्यादा लोग जेलों में बंद हैं, जिनमें से चार लाख सत्ताईस हजार तो सिर्फ कैदी हैं, जिनका मुकदमा अभी भी चल रहा है। और लाखो लोग जमानत पर हैं।
उपरोक्त भयावह स्थिति में कई निर्दोष लोग जेल की सलाखों के अंदर बंद हैं। और हम नहीं जानते कि भविष्य में कितने लोग जेल जायेंगे। ऐसे में जरूरत इस बात की है। कि भारत में हर पीड़ित एवं आरोपी को वरिष्ठ, अनुभवी अधिवक्ताओ से उचित मार्गदर्शन मिले, ताकि वे अपने जीवन को कानूनी मामलों से मुक्त कर सकें और अपने जीवनसाथी, बच्चों या परिवार के साथ स्वतंत्र रूप से रह सकें। जिसके लिए निरंतर क्रियान्वयन में लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन द्वारा सम्पूर्ण भारत में जिला तथा तहसील स्तर तक सवयंसेवको का समूह बनाने का प्रयास किया जा रहा है। एवं भारत के सभी न्यायालयों में वरिष्ठ तथा बुद्धिमान अधिवक्ताओं का पैनल बनाए जाने का भी प्रयास किया जा रहा है। जिस प्रक्रिया के अंतर्गत हमारे स्वंय सेवक पीड़ित से संपर्क स्थापित कर हमारे तीस वर्षो से अधिक अनुभवी वरिष्ठ अधिवक्ताओं के विधिक परामर्श तथा न्यायालयीन पैरवी की सहायता हर पीड़ित एवं आरोपी निरंतर लाभान्वित हो रहे है।
लाइफ सेविंग ऑर्गनाइजेशन का लक्ष्य वर्ष 2040 तक प्रत्येक व्यक्ति को 100% कानूनी सहायता की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।हमारा उद्देश्य वर्ष 2040 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आकड़ों के अनुसार विश्व स्तर पर प्रतिवर्ष होने वाली 1300000/- तेरह लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाओं तथा भारत में प्रति वर्ष होने वाली लगभग 4,03,116/- से अधिक सड़क एवं रेल दुर्घटनाओं में 30% की कमी लाना है।भारत में रेलवे दुर्घटना में पीड़ित व्यक्ति व मृत व्यक्ति के परिजनों को मुआवजा प्रदान किया जाता है, जिसकी जानकारी के अभाव में पीड़ित व्यक्ति व मृतक के परिजन मुआवजा प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं। इसलिए, उपरोक्त को लाभान्वित करने हेतु जन जागरूकता अभियान चलाना, प्रत्येक दुर्घटना के घायल व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा सहायता, वित्तीय और कानूनी सहायता प्रदान करना, मृतकों के परिजनों को एम्बुलेंस सहायता, वित्तीय सहायता एवं कानूनी सहायता की शत-प्रतिशत उपलब्धता सुनिश्चित करना, ताकि दुर्घटनाओं में होने वाले नुकसान की भरपाई भारत सरकार द्वारा निर्मित मोटर यान अधिनियम, मोटर दावा दुर्घटना अधिकरण एवं रेल्वे दावा न्यायाधिकरण के तहत शत प्रतिशत हो सके।