दीवानी मामला

     

    लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन की स्थापना उद्देश्य में भारतीयों के मूल अधिकारों की रक्षा करना मुख्य उद्देश्य में शामिल है। जिसके अंतर्गत लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन के द्वारा अपने स्वयं सेवक व अन्य सामाजिक संगठनों की मदद से सम्पूर्ण भारत में जिला एवं तहसील स्तर तक मूल अधिकारों से सम्बन्धित कार्यक्रमों, जागरूकता अभियान इत्यादि का संचालन किया जाता है।

    सम्पूर्ण भारत में जिला एवं तहसील स्तर तक मूल अधिकारों से सम्बन्धित कार्यक्रमों, जागरूकता अभियान इत्यादि में अधिकांश संख्या उन वादी और परिवादियों अथवा उनके परिजनों की होती है जिनके कभी लम्बे समय से सिविल बाद न्यायालय में लंबित है।

    जैसा की हम सभी जानते है कि प्रत्येक व्यक्ति को भारतीय संविधान द्वारा मूल अधिकार प्राप्त हुए है जिनके अंतर्गत वादी और परिवादियों अथवा उनके परिजनों द्वारा जिला एवं अधीनस्त न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के विरुद्ध उसे उच्च न्यायालय में अपील करनी होती है। एवं उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध वादी और परिवादियों अथवा उनके परिजनों को देश की राजधानी में स्थित सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करनी होती है। 

    इसके लिए लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन द्वारा भारत में वादी और परिवादियों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से सम्पूर्ण भारत के जिलों व तहसील स्तर पर ऐसे स्वंय सेवक का समूह बनाया गया है, जो कि स्वयं किसी न किसी घटना से पीड़ित रहे है अथवा उन्होंने उस पीड़ा को महसूस किया है।

    लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन के समाजसेवी स्वंयसेवक की निरंतर मेहनत और अथक प्रयासों से ही लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन द्वारा अनगिनत वादी और परिवादियों अथवा उनके परिजनों को विधिक सहायता उपलब्ध करा पायी है। एवं उपरोक्त सामाजिक कृत्य क्रम का ही परिणाम है कि लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन के पास विधिक सहायता हेतु निरंतर सिविल वाद प्रकरण प्रकरणों की संख्या में बृद्धि हुई है।

    भारत के विभिन्न राज्यों के अन्य समाज सेवी स्वयंसेवकों तथा संगठनों द्वारा स्वेक्षा से अपने क्षेत्रो के ऐसे अनगिनत वादी और परिवादियों को जिनके प्रकरण न्यायालयों में लंबित है, को लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन की मदद से निरंतर विधिक सहायता उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जा रहा है।

    भारत में पुरातन काल से ही न्याय व्यवस्था को सर्वोपरि माना गया है, हमेशा से ही न्यायाधीश को ईश्वर का दर्जा प्राप्त हुआ है। किन्तु जैसे पुरातन काल में न्याय व्यवस्था की पहली सीढ़ी में कार्यरत कुछ लालची कर्मचारी बेईमान और घूसखोर होते थे, उसी तरह वर्तमान में भी प्रकरण का अनुसंधान करने वाले कुछ जांच अधिकारियों,कर्मचारियों / पुलिस कर्मचारियों अथवा अनुसन्धाकर्ताओं ने जो कि अपने व्यक्तिगत हित एवं दुर्भावना तथा अहंकारी स्वभाव को साधने के लिए न्याय सिद्धांत पर कलंक लगाते हैं। उक्त कलंकित अनुसंधान में बुध्दिमान,अनुभवी और वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा न्यायाधीशों की मदद से ही न्यायपालिका द्वारा न्याय की गरिमा को प्रतिपादित किया जाता है।

    लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन द्वारा भारत में वादी और परिवादियों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से सम्पूर्ण भारत के अधिकांश जिला एवं अधीनस्त न्यायालयों, उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच न्यायालय में सर्वश्रेष्ठ अधिवक्ताओं का पैनल बनाया है। उक्त वरिष्ठ अनुभवी अधिवक्ताओ के मार्गदर्शन उपरांत वादी और परिवादियों को जिला एवं अधीनस्त न्यायालयों, उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच न्यायालय में अतिशीघ्र न्याय दिलाने का प्रयास करना सुनिश्चित किया जाता है।

    विद्वान अधिवक्ताओं को वादी और परिवादियों के प्रकरण में पैरवी शुल्क का भुगतान लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन को निरंतर प्राप्त दान स्वरूप धनराशि से किया जाता है, कभी-कभी वादी और परिवादियों द्वारा भी लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन को अधिवक्ता शुल्क का भुगतान किया जाता है, जिससे लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन निरंतर समाज सेवा के रूप में मजबूती से पैर पसार रहा है।

    लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन से किसी भी प्रकार की मदद प्राप्त करने के लिए वेबसाइट में विभिन्न प्रकार के प्रकरणों के लिए चुनाव सहित शिकायतदर्ज कर शिकायत की स्थिति का अवलोकन भी कर सकते है।

    लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन के स्वंयसेवक जो कि स्वयं कभी पीड़ित रहे है या फिर उनके परिवार से कोई पीड़ित रहा है, सम्मानीय पैनल अधिवक्ता आदि सभी मिल कर एक नए समाज का निर्माण करने में अपना विशिष्ट योगदान दे रहे है।

    लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन के स्वंय सेवक और पैनल अधिवक्ता निरंतर समाज सुधार,विकास तथा उत्थान के लिए सम्पूर्ण भारत में कार्यरत एवं वैश्विक स्तर पर क्रियान्वयन हेतु प्रयासरत है। उपरोक्त व्यवस्था चरणबद्ध तरीके से लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन वेबसाइट देखने पर स्पष्ट समझ आ सकती है।

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