लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारत में प्रतिवर्ष लगभग 4 लाख तीन हजार एक सौ सोलह से अधिक हो रही सड़क व रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारत सरकार के निर्देशानुसार जनसामान्य को जागरूक करना, सड़क व रेल दुर्घटना में क्षतिग्रस्त लोगों को चिकित्सकीय सहायता, आर्थिक सहायता, विधिक सहायता उपलब्ध कराना तथा दुर्घटना में मृत व्यक्तियों के पीड़ित परिवारों को एंबुलेंस सहायता, आर्थिक सहायता और विधिक सहायता उपलब्ध कराना है।
हर साल सड़क हादसों में कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं। कभी-कभी यह उनकी गलती के कारण होता है और कभी-कभी, उन्हें दूसरों के कार्यों के लिए भुगतान करना पड़ता है। लेकिन जो व्यक्ति दूसरों के गलत कार्यों के कारण पीड़ित होता है, उसके लिए मोटर यान अधिनियम, 1988 इसका उपाय है। इस अधिनियम के माध्यम से सभी अपराधियों को उत्तरदायी ठहराया जाता है, और सजा के रूप में उन्हें पीड़ित को मुआवजा देना होता है। इस अधिनियम का उद्देश्य मोटर यान दुर्घटनाओं को रोकना है, और यदि ऐसा होता है, तो यह सुनिश्चित करता है कि पीड़ित को न्याय मिले और दुर्घटना का कारण बनने वाले व्यक्ति को दंडित किया जाए।
लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन द्वारा भारत में सड़क दुर्घटना पीड़ितों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से सम्पूर्ण भारत के जिलों व तहसील स्तर पर ऐसे स्वंयसेवक का समूह बनाया गया है जो स्वयं किसी न किसी घटना से पीड़ित रहे हैं अथवा उन्होंने उस पीड़ा को महसूस किया है।
लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन के समाजसेवी स्वंयसेवक की निरंतर मेहनत और अथक प्रयासों से ही लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन द्वारा अनगिनत दुर्घटनाओं में पीड़ितों को आवश्यक एम्बुलेंस सहायता, चिकित्सा सहायता और विधिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। उपरोक्त सामाजिक गतिविधियों का परिणाम है कि लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन के पास विधिक सहायता हेतु सड़क दुर्घटना मामलों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।
भारत के विभिन्न राज्यों के अन्य समाजसेवी स्वयंसेवकों तथा संगठनों द्वारा अपने क्षेत्रों में घटित सड़क दुर्घटनाओं में पीड़ितों और उनके परिवारों को लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन की मदद से विधिक सहायता उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जा रहा है।
भारत में पुरातन काल से ही न्याय व्यवस्था को सर्वोपरि माना गया है, और हमेशा से न्यायाधीश को ईश्वर का दर्जा प्राप्त हुआ है। लेकिन पुरातन काल में न्याय व्यवस्था की पहली सीढ़ी में कुछ लालची कर्मचारी बेईमान और घूसखोर होते थे। उसी प्रकार, वर्तमान में भी कुछ जांच अधिकारी, कर्मचारी और पुलिसकर्मी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ और दुर्भावनापूर्ण कार्यों के कारण न्याय सिद्धांत पर कलंक लगाते हैं। इन मामलों में बुद्धिमान, अनुभवी और वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखा जाता है।
लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन द्वारा भारत में सड़क दुर्घटना पीड़ितों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से विभिन्न न्यायालयों में सर्वश्रेष्ठ अधिवक्ताओं का एक पैनल बनाया गया है। इन वरिष्ठ और अनुभवी अधिवक्ताओं के मार्गदर्शन में सड़क दुर्घटना पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने के प्रयास किए जाते हैं।
विद्वान अधिवक्ताओं के पैरवी शुल्क का भुगतान लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन को प्राप्त दान राशि से किया जाता है। कभी-कभी पीड़ित या अन्य समाजसेवी स्वयंसेवकों और संगठनों द्वारा न्यायिक प्रक्रिया में प्राप्त मुआवजा राशि में से लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन को अधिवक्ता शुल्क का भुगतान किया जाता है। इस प्रकार, लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन निरंतर समाज सेवा के रूप में अपनी पहचान को मजबूत कर रहा है।
लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन से किसी भी प्रकार की मदद प्राप्त करने के लिए वेबसाइट पर विभिन्न प्रकार के प्रकरणों के लिए शिकायत दर्ज कर सकते हैं और शिकायत की स्थिति का अवलोकन भी कर सकते हैं।
लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन के स्वयंसेवक, जो स्वयं पीड़ित रहे हैं या जिनके परिवार से कोई पीड़ित रहा है, सम्मानीय पैनल अधिवक्ता, आदि, सभी मिलकर एक नए समाज के निर्माण में अपना विशिष्ट योगदान दे रहे हैं।
लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन के स्वयंसेवक और पैनल अधिवक्ता समाज सुधार, विकास और उत्थान के लिए सम्पूर्ण भारत में निरंतर कार्यरत हैं और वैश्विक स्तर पर इस प्रयास को क्रियान्वित करने के लिए प्रयासरत हैं। उपरोक्त व्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से लाइफ सेविंग आर्गेनाइजेशन की वेबसाइट पर समझा जा सकता है।